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मध्य प्रदेश में बना दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर, 1000 करोड़ से ज्यादा की आई लागत और लगे 17 साल !World's tallest Jain temple built in Madhya Pradesh, cost more than 1000 crores and took 17 years to build!

मध्य प्रदेश में बना दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर, 1000 करोड़ से ज्यादा की आई लागत और लगे 17 साल !


मध्‍य प्रदेश के दमोह जिले के कुण्डलपुर में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का दुनिया का सबसे उंचे मंदिर का बन चुका है. कुण्डलपुर में बन रहे इस जैन मंदिर का निमार्ण कार्य पिछले 17 सालों से चल रहा है. बताया जा रहा है इस मंदिर को बनाने में एक हजार करोड़ से ज्यादा की लागत लगी है. ये मंदिर देखने में काफी शानदार लग रहा है


एक हजार साल पुरानी प्रतिमा है स्थापित

इस मंदिर में करीब एक हजार साल पुरानी भगवान आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर का पुननिर्माण भूकंप से पुराना मंदिर टूट जाने के बाद किया गया है. यह मंदिर 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है, जिसका शिखर 189 फीट ऊंचा है. दुनिया में अब तक इतना ऊंचा जैन मंदिर नहीं बना है.

12 लाख घन मीटर पत्थरों का किया गया उपयोग

इस मंदिर में 12 लाख घन मीटर पत्थरों का उपयोग किया जा चुका है. बात करें इस मंदिर की डिजाइन की तो इसकी डिजाइन सोमपुरा बंधुओं ने तैयार की है. खास बात यहा है कि इन पत्थरों को सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल किए बिना जोड़ा गया है. राजस्थान के तीन प्रकार के पत्थरों से नागर शैली में बड़े बाबा भगवान आदिनाथ के मंदिर का निर्माण किया गया है. इस मंदिर में मुख्य शिखर की ऊंचाई 180 फीट, गुड मंडप 99 फीट , नृत्य मंडप, रंग मंडप ग्राभ गृह 67 फीट ऊंचा है.मुख्य मंदिर के सामने सहस्त्रकूट में 1008 मूर्तियां स्थापित होगी. इसी तरह त्रिकाल चौबीसी, वर्तमान चौबीसी, पूर्व चौबीसी और भविष्य चौबीसी में मूर्ति स्थापित हो रही है. इसी प्रकार 724 प्रतिमाएं पद्मासन 220 प्रतिमाएं खड्गासन में पत्थरों पर भी उकेरी गई हैं.

बहुत ही दर्शनीय है मंदिर

जैसलमेर के मूल सागर पत्थरों से बनाए गए गुण मंडप में देवी-देवताओं व नृत्यांगना आदि की मूर्तियों को बड़े ही शानदार तरीके से उकेरा गया है. जो देखने में बहुत दर्शनीय लग रही हैं. इस नक्काशी को देखने वाले भी लोग कारीगरों की प्रशंसा करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं. मंदिर निर्माण में लगे सभी पत्थरों पर शानदार नक्काशी इसकी सुंदरता और भव्यता को और बढ़ाती हैं.इस प्राचीन धार्मिक क्षेत्र को सिद्धक्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यहां अति अलौकिक 65 मंदिर हैं, जो आठवीं-नौवीं शताब्दी के बताए जाते हैं. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में लोग इस दिव्य मंदिर के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

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