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बाढ़, सूखा और तूफान... जलवायु आपदा ला रहा दुनिया में आर्थिक संकट, UN ने दी दुनिया को बड़ी चेतावनीFloods, droughts and storms... Climate disaster is bringing economic crisis in the world, UN has given a big warning to the world

बाढ़, सूखा और तूफान... जलवायु आपदा ला रहा दुनिया में आर्थिक संकट, UN ने दी दुनिया को बड़ी चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने चेतावनी देते हुए कहा कि जलवायु संकट आपदा काबू से बाहर होती जा रही है. उन्होंने कहा कि जलवायु संकट आर्थिक आपदाएं हैं. यूएन चीफ ने विकसित देशों से अपने वित्तीय वादों को पूरा करने की गुजारिश भी की. उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री के तौर पर आप यह सब अच्छी तरह से जानते हैं. तूफान, बाढ़, आग और सूखा दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को तेजी से नष्ट कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस जलवायु आपदा पर होने वाली वित्त मंत्रियों की 11वीं मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर पहुंचे थे. इस मौके पर गुतारेस ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो धनराशि सड़कें बनाने, बच्चों को शिक्षित करने और बीमारों का इलाज करने के लिए होनी चाहिए, उसे जलवायु संकट तेजी से निगल रहा है.

इस मामले पर अर्थशास्त्री वेरा सोंगवे और निकोलस स्टर्न की सह-अध्यक्षता में जलवायु से निपटने वाले वित्त में स्वतंत्र उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह ने बताया कि, बहुपक्षीय विकास बैंकों के सुधारों से सालाना क्षमता में 40% की बढ़ोत्तरी जोकि (लगभग $ 300-400 बिलियन) हो सकती है. इस दौरान गुटेरेस ने सभी देशों से अपनी जलवायु योजनाओं को बेहतर करने के लिए कहा है. उन्होंने बताया कि हम “वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करके हम अभी भी सबसे खराब जलवायु संकट को टाल सकते हैं. लेकिन केवल तभी जब हम अभी कार्रवाई करें. यह महत्वपूर्ण है कि सभी देश अगले साल तक राष्ट्रीय स्तर पर तय योगदान के साथ आगे आएं.

बैंकों के व्यापार मॉडल में सुधार की जरूरत 

गुतारेस ने कहा कि इन योजनाओं को 1.5 डिग्री की सीमा के अनुरूप होना चाहिए, जिसमें सभी उत्सर्जन और पूरी अर्थव्यवस्था को शामिल किया जाना चाहिए. यूएन चीफ ने कहा कि वित्त मंत्री राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं को डिजाइन करने में महत्वपूर्ण हैं, जो राष्ट्रीय विकास योजनाओं का समर्थन करते हैं और राष्ट्रीय निवेश योजनाओं के रूप में दोगुनी होती हैं. गुतारेस ने कहा कि विकसित देशों को बजट पर अपने वादे पूरे करने की जरूरत है.

उन्होंने आगे कहा कि हमें इस साल COP29 से एक मजबूत फाइनेंशियल रिजल्ट की जरूरत है. साथ ही हमें वित्तीय साधनों, पर्याप्त पूंजीकरण और बहुपक्षीय विकास बैंकों के व्यापार मॉडल में सुधार की जरूरत है, ताकि उनकी लोन देने की क्षमता बढ़ सके और कहीं ज्यादा निजी वित्त जुटाया जा सके.

छोटे देशों पर बढ़ा बोझ-गुतारेस

गुतारेस ने आगे कहा कि साल 2009 में कोपेनहेगन में यूएनएफसीसीसी के 15वें सम्मेलन में विकसित देशों ने विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिए 2020 तक हर साल 100 अरब डॉलर जुटाने के सामूहिक लक्ष्य के लिए बात कही थी. हालांकि आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने 2023 में कहा था है कि साल 2009 में हुए सीओपी15 जलवायु समझौते के अनुसार पिछले साल 100 अरब डॉलर की आपूर्ति होने की संभावना रही, लेकिन विकासशील देशों के पक्षों के अनुसार, यह अभी तक बांटा नहीं गया है. उन्होंने यह भी कहा है कि अधिकांश पैसा लोन के तौर पर आया है न कि फंड के रूप में जिससे छोटे देशों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है.

इस बीच, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के भौतिकी विभाग में जलवायु विज्ञान के प्रमुख प्रोफेसर माइल्स एलन ने चेतावनी दी कि जियो-इंजीनियरिंग सहित ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के कुछ नजरिए भू-राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा हो सकते हैं. ऐसे में जिस स्तर पर हम अभी हैं, उस स्तर पर जीवाश्म ईंधन पर लगातार निर्भरता अस्थिरता को बढ़ाएगी.

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