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जल आवर्धन योजना में हुए भ्रष्टाचार ने किया किसानों को बेहालCorruption in water augmentation scheme has made farmers miserable

जल आवर्धन योजना में हुए भ्रष्टाचार ने किया किसानों को बेहाल



बुरहानपुर । जिले की लगभग चार लाख से अधिक की आबादी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम ने विश्व बैंक के सहयोग से ताप्ती जल आवर्धन योजना का काम 2017 से प्रारंभ कराया था। आज दिनांक तक लगभग 131 करोड़ की यह योजना अधर में लटकी है और जिलेवासियों को इससे जल प्राप्त नहीं हो रहा है।

गौरतलब है बसाड़ में ताप्ती नदी पर बने बांध से लगी रिटेंशन वॉल घटिया निर्माण के चलते टूट गई है जिससे बाढ़ आने पर बसाड़ और उमरदा ग्राम के किसानों की खड़ी फसलें बह गई है। उक्त दीवार निर्माण का कार्य मुंबई की एक अन्य कंपनी कल्पतरु को अब दिया गया है। किसानों ने रोष व्यक्त करते हुए नए कार्य को उमरदा की ओर से फिलहाल रुकवा दिया है और मांग की है कि पहले मुआवजा उसके बाद ही कार्य को प्रारंभ किया जाए। मंगलवार को नेपानगर तहसीलदार ने मौका स्थल पर पहुंचकर किसानों से बातचीत करी और कार्य प्रारंभ करवाने की कोशिश की परंतु किसान अपनी बात पर अड़े रहे। सामाजिक कार्यकर्ता ठाकुर प्रियांक सिंह ने तहसीलदार से यथाशीघ्र आरबीसी 6.4 के तहत मुआवजा राशि उपलब्ध कराने का किसानों के समक्ष आवेदन दिया।


सामाजिक कार्यकर्ता और बुरहानपुर मज़दूर यूनियन अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने कहा ताप्ती जलावर्धन योजना में निर्माण एजेंसी जेएमसी है जो प्रारंभ से ही विवादों में रही है। घटिया निर्माण के चलते रिटेंशन वॉल का टूट जाना हो अथवा उतावली नदी के पास फटी मेन राइजिंग पाइपलाइन हो या जिले में अनेक स्थानों पर बने ओवरहेड टंकियों का निर्माण, कंपनी द्वारा किये गए भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण को स्वतः समझा जा सकता है। 

जेएमसी कंपनी के पूरे निर्माण कार्य और सामग्री की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए ठाकुर प्रियांक सिंह ने आगे कहा जेएमसी कंपनी से स्थानीय नेताओं की साठगांठ प्रतीत हो रही है।

समाजसेवी आयुष भावसार ने कहा कंपनी द्वारा इतनी लापरवाही बरतने के बाद भी कोई नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं हो रहा है। उल्लेखनीय है कि निर्माण एजेंसी जेएमसी को दो साल में काम पूरा करना था लेकिन कंपनी ने छह साल बाद भी इसे पूरा नहीं किया है। इस बीच प्रदेश सरकार और एमपी यूडीसी के अफसरों ने निर्माण एजेंसी को छह बार एक्सटेंशन दिया है। आमतौर पर एक या दो एक्सटेंशन के बाद भी काम पूरा नहीं होने पर संबंधित एजेंसी को बदल दिया जाता है और उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाता है। इस योजना में आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि इसकी मॉनिटरिंग का पूरा काम एमपी यूडीसी के अफसर भोपाल से कर रहे हैं अगर अधिकारी कार्य निरीक्षण ठीक से करते तो आज अन्नदाता किसानों को यह संकट नहीं आता। 

तहसीलदार के समक्ष प्रदर्शन करते समय नंदलाल परदेसी, ईश्वर मल्ला, प्रकाश चुन्नीलाल, बाबूलाल परदेसी, शोभाराम परदेसी, लक्ष्मण दयाराम, अशोक मोहन, सुभाष मोहन, बीनाबाई गेंदालाल आदि पीड़ित किसान उपस्थित रहे।

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